तेरा करम
ऐ खुदा, टूट-टूट कर भी खड़ा हूँ मैं,
यह तेरा करम नहीं तो और क्या है?
इतने वार, इतने ज़ख्म, और मुस्कुरा हूँ मैं,
यह तेरा करम नहीं तो और क्या है?
थक के चूर हूँ, फिर भी चल रहा हूँ मैं,
यह तेरा करम नहीं तो और क्या है?
बेहाल हूँ मगर आज भी दूसरों की दवा हूँ मैं,
यह तेरा करम नहीं तो और क्या है?
दबा रहें है मेरी आवाज़ लेकिन आज़ाद सदा हूँ मैं,
यह तेरा करम नहीं तो और क्या है?
टिप्पणियाँ