दिल्ली के रंग

सभी को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनायें! 
फोटो: Google 


देखा है दिल्ली को बचपन से,
बड़ो से सुना है, किताबों में पढ़ा है,
बड़ी अदा से सलाम करती है,
हर आने वाले को,
जब तक हद से न गुज़र जाए,
बड़े सब्र से सहन करती है,
सियासत के हर पैंतरे को,
देख चुकी है,
ताकत की कई शक्लें,
सुन चुकी है,
सियासत की कई ज़बाने,
बड़ी शातिर है,
तमाशे के गुज़र जाने का
इंतज़ार करती है,
चाहे कितना भी 
डमरू बजा लो,
नहीं क़ैद कर पाओगे
इसकी रूह को,
न पोंछ पाओगे,
इसके माथे से इंकलाब को,
न तोड़ पाओगे,
एकता के धागों को,
चूड़ियाँ तो हर जगह
रंग-बिरंगी होती हैं,
अरे, इसकी तो मिट्ठी भी,
कई रंगों के ज़र्रों से बनी है,
जाने कहाँ-कहाँ की धुल,
मिल चुकी है इस ज़मीन में,
यह दिल्ली है,
खूबसूरत गुड़िआ सी दिखती है,
मगर हिंदुस्तान की शान में,
सबसे बहादुर वीरांगना है ये,
मत उलझो इससे,
यह जान पे खेल जाएगी,
अपने हर रंग के लिए,
हाँ, अगर सवांरोगे इसके रंग-रूप को,
तुम्हें सर पे बिठा लेगी,
बस, भूल न जाना साहब,
लालकिले से जो तिरंगा फहराता है,
आज भी उस में,
हरे और नारंगी की जगह,
एक बराबर है,
एक बराबर है।  

जय हिन्द!!! 


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