पापा ने अपनी वसीहत में शौक-ए-शायरी मेरे नाम कर दिया, 
दुनिया वालों चाहो तो पढ़ लो मुझे, मैंने तहरीर-ए-ज़िन्दगी आम कर दिया

टिप्पणियाँ

एक संक्षिप्त परिचय तस्वीर ब्लॉग लिंक इमेल आईडी के साथ चाहिए , कोई संग्रह प्रकाशित हो तो संक्षिप ज़िक्र और कब से
ब्लॉग लिख रहे इसका ज़िक्र rasprabha@gmail.com
Bharat Bhushan ने कहा…
ख़ूब कहा है...
Rakesh Kumar ने कहा…
क्या सच में ?
आपको पढ़ना अति सुखद अनुभव है.

पापा ने आपके माध्यम से बेहद अनमोल खजाना
लुटा डाला है.

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