भरोसे के काबिल न मेरी किस्मत है न तेरी फितरत
ज़िन्दगी यूँ भी कट ही जाएगी, सलामत रहे लुफ्त-ए-हसरत 

टिप्पणियाँ

केवल राम ने कहा…
वाह क्या बात है ..जीवन भी क्या विरोधाभास है .....गहरे भाव ..विचारणीय
जीना इसी का नाम है।
विशाल ने कहा…
भरोसे के काबिल न तेरी फितरत है न मेरी किस्मत,
ज़िन्दगी यूँ भी कट ही जाएगी, सलामत रहे लुत्फ़ -ए-हसरत.

बहुत ही उम्दा शेर है.
सलाम
बहुत ही उम्दा शेर.
शिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें.
Deepak Saini ने कहा…
वाह क्या बात है
बेनामी ने कहा…
wah!!!
Rakesh Kumar ने कहा…
अंजना जी क्यूँ ? क्यूँ ?

क्यूँ नहीं रहा भरोसा आपको अपनी किस्मत पर और क्यों संदेह होता है उसकी फितरत पर .
'हारिये न हिम्मत बिसारिये न हरि नाम'
आप तो दीवानी हैं उसकी राह की.उल्फत की आदत हो ,पर भरोसा कभी न टूटे बस यही दुआ और कामना है
Udan Tashtari ने कहा…
जो दिखते नहीं किसी को,
वो भाव तुमको दे रही हूँ....


:)

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